हवा के झोंके ने फिर से पन्नों को सहलाया,
एक तो हुस्न कयामत उसपे होठों का लाल होना।
झुकाकर पलकें शायद कोई इकरार किया उसने,
तुम्हारे लब को छूने का इरादा रोज करता हूँ,
कहानियों का सिलसिला बस यूं ही चलता रहा,
मंजिल की तलाश में खुद को अकेले चलना होगा,
उजालों में चिरागों की अहमियत नहीं होती।
खुदा माना, आप न माने, वो लम्हे गए यूँ ठहर से,
तेरे इशारों पर मैं नाचूं क्या जादू ये तुम्हारा है,
मैं घर का रास्ता भूला, shayari in hindi जो निकला आपके शहर से,
अब तक सबने बाज़ी हारी इस दिल को रिझाने में,
रास्ते पर तो खड़ा हूँ पर चलना भूल गया हूँ।
कुछ बदल जाते हैं, कुछ मजबूर हो जाते हैं,
मगर उसका बस नहीं चलता मेरी वफ़ा के सामने।